उठो जवानो बनो शरारा, नश नश में भरलो अंगारा
राख बना दो गद्दारों को, भष्टाचारियों और घूसखोरों को
बैठे हैं जो कुर्सी पर तनकर, वोट दिया था हमने जिनको
चुन चुन कर उन बेमाईमानों को।
अब कहने का वक्त नहीं है, अब सुनने का समय नहीं है
बहुत कह लिये, बहुत सुन चुके, अब वक्त है बस करने का
भ्रष्ट शासन का अंत करने का, उठो जवानो............
घुटनों के बल चलना छोड़ो, भीख मांगकर खाना छोड़ो
मार कुण्डली जो बैठे हैं, खून तुम्हारा चूस रहे हैं
कुचल के रख दो, उन नागों को, उठो जवानो...............
मंहगाई में क्यों पिसते हो, क्यों भूखे ही तुम सोते हो,
जिन्हें चुना था तुमने नेता, वो पिते हैं चाय कारोड़ों की
उनसे अपना हिस्सा छीनो, इंकलाब का नारा बोलो
भ्रष्ट शासन को खाक बनादो, अपना शासन हाथ में ले लो।
जय हिन्द! इंकलाब!
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