Thursday, July 29, 2010

दीदार चाहता हूं


तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं
कशिश है चेहरे में जाने कैसा
करार दिल का मैं खो रहा हूं
है रात दिन अब ख्याल तेरा
क्या जानो तुम कैसे जी रहा हूं

नज+र से तेरी मिलाके नज+रें
किया गुनाह ऐसा लग रहा है
दिया नज+र का जो जाम तूने
के रिन्द बनकर भटक रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

बता दे मुझको ऐ हुस्न वाले
क्या बन्दगी इसको कहते हैं
झुकाऊW सिर जो मैं रब के आगे
तेरी झलक उसमें ढूWढता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

है रूह तक बेकरार मेरा
है हर घड़ी अब इंतजार तेरा
तेरी नज+र की दे ओस मुझको
दीदार को मैं तड़प रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

मेरी मुहब्बत ऐ मेरी धड़कन
बनके हकीकत चली सामने आ
तस्वीर से दिल बहलता नही अब
दीदार बस एक तेरा चाहता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

सुन लो प्रियतम गीत हमारा

सुन बसंती पवन बयारों
उछृंखल हे नदी की धारों
कौतुकता बालकपन त्यागो
नव वल्लरियां तुम्हें पुकारे
राग सारंग तुम छेड़ दो मन में
रति देव का टेर सुनाओ

लाज की चुनरी ओढ़े कलियां
पलक बिछाये गलियां-गलियां
ढूंढ रही हैं शर से घायल
कामदेव की गहरी अंखियां
सहज से तुमसे मदन के प्यारे
प्रियतम से तुम हमें मिलाओ
घड़ी है कम इस प्रिय मिलन की
जाओ-जाओ पर बिखराओ

पिया मिलन की आश लगाये
कुहू-कुहू बोले कोयलिया
तू अपनी निष्ठुरता तज दे
शाकुन्तल दुष्यंत मिला दे
विरह वेदना हृदय को चीरे
सांस&सांस में जीवन बीते
जीवन की एक साध पूरा दे
बासंती रंग युगल नहा दे
तेरे लिए काम नहीं भारी
रति सचि सब तेरे पुजारी
तू मेरे प्रिय इन्द्र मिला दे
गति जरा अपनी दिखला दे

मादक-मादक खुशबू फैला
महक रहा है ये जग सारा
ऋतु बसंत की एक छुअन से
बहक रहा है मन ये मेरा
अलसाई सी अंगराई है
बलखाई सी अमराई है
शर्म, लाज को तज कर कलियां
फूल सी बनकर लहराई है
ऐसे में गूंजा पंचम स्वर
देखो किसने किसे पुकारा

तरकश ले कर मदन चले हैं
पत्थर से भी रस छलके हैं
हृदय हुआ है प्रेम पिपासु
प्रियतम को हम ढूंढ रहे हैं
गीत हैं मेरे प्रेम से सिंचित
सुन लो प्रियतम गीत हमारा

चांद को देखा ऐसा लगा


उस चांद को देखा ऐसा लगा
वो चांद नहीं तेरा साया था
कहना जो चाहा चांद उसे
मैंने नाम तेरा ही पुकारा था।

रफ्ता- रफ्ता हौले-हौले
अम्बर के आंगन में चलता था
जब चांद का पल्लू ढ़लता था
शमार्ना तेरा याद आता था।

जब हाथ बढ़ाया चांद ने तो
दिल मेरा भी कुछ मचला था
मैं चला पकड़ने चांद को तो,
हाथों में तेरा हाथ आया था।

Friday, July 23, 2010

लोक गीत पर आधारित ( प्रेम गीत)


प्रेम की बतिया बूझे न सईयां जाये हाय सौतन के पास
मेरी उमरिया चढ़ती जवनियां, मुरझाये हो के उदास
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सईयां जाये हाय सौतन के पास

चूड़ी बुलाये, कंगना पुकारे, पायल करे है झंकार
ऐसी जरूरी है कौन बतिया, मो से भी है जो खास
बाहें फैलाऊ बांहों में आ जा करे दे पिया बरसात
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सईयां जाये हाय सौतन के पास

रूठुं जो उनसे तो हार मेरी, मानूं भी तो मेरी हार
इस हार को तुम जीत बनादो पहना के बांहों का हार
फिर न कभी मैं रोकूंगी राहें, इस बार तोड़ो न आस
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सइयां जाये हाय सौतन के पास


यह गीत लोक गीत पर आधारित है जिसमें अपने रूठे प्रियतम को मनाने के लिए प्रियतमा किस प्रकार से नाज दिखाती यह दर्शाने की कोशिश की गई है.

kaas subah na aaye, raat kayam rahe "काश सुबह न आये, रात कायम रहे!"

काश सुबह न आये, रात कायम रहे, मैं तेरी बाहों में, तू भी मुझ में रहे।
काश सुबह न आये........

अंग से अंग लगाकर अंग तेरा खिला दूं, होंठों के पैमाने को और रंगीन बना दूं
ये ख्यालात मुकम्मिल रात में हो जाए, काश सुबह न आये रात कायम रहे
काश सुबह न आये..........

तू तसव्वुर है मेरा, तू ही मंजिल मेरी,रात ही रात में, ये सफर पूरा करूं
तू भी मिल जाए मुझसे, मैं भी तुमसे मिलूं, सारे अरमान दिल के मिलके पूरा करूं।
काश सुबह न आये......

वस्ल की रात है ये, रात तुम साथ देना, चांद से तुम भी मिल लो, छोड़ दो आना जाना
ये भली बात है जी, बाद में फिर न कहना, रह गयी प्यास अधूरी, जिन्दगी बस है थोडी।
काश सुबह न आये रात कायम रहे........

Thursday, July 22, 2010

Sai bhajan, bari dur se aaye hain "बडी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं"


बडी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं
तू सुने या न सुने हम तुझे सुनाते हैं
मेरे सांई तू-2 करदे मेहर हम पर हम रहम के प्यासे हैं, बड़ी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं

कोई राम कहे तुझको कोई बाबा बुलाते हैं
हम होके मगन तुझमें तुम्हे अपना बुलाते हैं
हम छोड़ के दर तेरा कहीं शरण न पाएंगे
मेरे सांई तू-2 करदे मेहर हम पर हम रहम के प्यासे हैं बड़ी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं

तेरी पालकी सजाएंगे हम तुम्हें संवारेंगे
तेरी झांकी सजाकर हम सारा शहर घूमाएंगे
हम गाएंगे सांई भजन हम नमन चढ़ाएंगे
मेरे सांई तू-2 करदे मेहर हम पर हम रहम के प्यासे हैं बड़ी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं

तू राम की मूरत है, तू कृष्ण सूरत है
तू दिनो इमान मेरा, मेरी सांसें भी तेरी है
तू जब भी बुलाएगा हम सिरडी आएंगे
मेरे सांई तू-2 करदे मेहर हम पर हम रहम के प्यासे हैं, बड़ी दूर से आये हैं तेरे दर पर आये हैं

Om sai ram bhajan सांई भजन ओम सांई राम


सांई के भजन में दिन गुजरे सांई के भजन में हो जाए शाम
सांई मेरा राम है, सांई मेरा श्याम, सांई के भजन में हो जाए शाम- सांई राम सांई राम ओम सांई राम-2

बन के फकीर तू रहम करे दुखियों गरीबों के दुख तू हरे
तुमसा दयालु नहीं, मेरा है पैगाम आके तेरी चरणों में मिलता आराम
आँखों में है छवि तेरी होठों पे है नाम सांई के भजन में हो जाए शाम -सांई राम सांई राम ओम सांई राम-2

जो भी तेरे दर आये खाली हाथों वो न जाएं
तेरी महिमा है सुनी तेरा गुणगान, सिरडी में सजा तेरा पावन है धाम
तेरे धाम को मैं करूं लख-लख प्रणाम सांई के भजन में हो जाए शाम -सांई राम सांई राम ओम सांई राम-2