Friday, July 23, 2010

kaas subah na aaye, raat kayam rahe "काश सुबह न आये, रात कायम रहे!"

काश सुबह न आये, रात कायम रहे, मैं तेरी बाहों में, तू भी मुझ में रहे।
काश सुबह न आये........

अंग से अंग लगाकर अंग तेरा खिला दूं, होंठों के पैमाने को और रंगीन बना दूं
ये ख्यालात मुकम्मिल रात में हो जाए, काश सुबह न आये रात कायम रहे
काश सुबह न आये..........

तू तसव्वुर है मेरा, तू ही मंजिल मेरी,रात ही रात में, ये सफर पूरा करूं
तू भी मिल जाए मुझसे, मैं भी तुमसे मिलूं, सारे अरमान दिल के मिलके पूरा करूं।
काश सुबह न आये......

वस्ल की रात है ये, रात तुम साथ देना, चांद से तुम भी मिल लो, छोड़ दो आना जाना
ये भली बात है जी, बाद में फिर न कहना, रह गयी प्यास अधूरी, जिन्दगी बस है थोडी।
काश सुबह न आये रात कायम रहे........

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