Thursday, July 29, 2010

दीदार चाहता हूं


तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं
कशिश है चेहरे में जाने कैसा
करार दिल का मैं खो रहा हूं
है रात दिन अब ख्याल तेरा
क्या जानो तुम कैसे जी रहा हूं

नज+र से तेरी मिलाके नज+रें
किया गुनाह ऐसा लग रहा है
दिया नज+र का जो जाम तूने
के रिन्द बनकर भटक रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

बता दे मुझको ऐ हुस्न वाले
क्या बन्दगी इसको कहते हैं
झुकाऊW सिर जो मैं रब के आगे
तेरी झलक उसमें ढूWढता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

है रूह तक बेकरार मेरा
है हर घड़ी अब इंतजार तेरा
तेरी नज+र की दे ओस मुझको
दीदार को मैं तड़प रहा हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

मेरी मुहब्बत ऐ मेरी धड़कन
बनके हकीकत चली सामने आ
तस्वीर से दिल बहलता नही अब
दीदार बस एक तेरा चाहता हूं
तुम्हारे चेहरे में जाने क्या है
के मैं दीवाना सा हो रहा हूं

No comments: