Friday, July 23, 2010

लोक गीत पर आधारित ( प्रेम गीत)


प्रेम की बतिया बूझे न सईयां जाये हाय सौतन के पास
मेरी उमरिया चढ़ती जवनियां, मुरझाये हो के उदास
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सईयां जाये हाय सौतन के पास

चूड़ी बुलाये, कंगना पुकारे, पायल करे है झंकार
ऐसी जरूरी है कौन बतिया, मो से भी है जो खास
बाहें फैलाऊ बांहों में आ जा करे दे पिया बरसात
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सईयां जाये हाय सौतन के पास

रूठुं जो उनसे तो हार मेरी, मानूं भी तो मेरी हार
इस हार को तुम जीत बनादो पहना के बांहों का हार
फिर न कभी मैं रोकूंगी राहें, इस बार तोड़ो न आस
बेदर्दी बूझे न जिया की बात-2 सइयां जाये हाय सौतन के पास


यह गीत लोक गीत पर आधारित है जिसमें अपने रूठे प्रियतम को मनाने के लिए प्रियतमा किस प्रकार से नाज दिखाती यह दर्शाने की कोशिश की गई है.

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